सूर्य नमस्कार - सूर्य नमस्कार के 12 आसन के नाम, सूर्य नमस्कार मंत्र

0

 सूर्य नमस्कार


सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) योग के सभी आसनों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। सूर्य नमस्कार से मिलने वाले लाभों को विज्ञान भी मानता है। सूर्य नमस्कार के अभ्यास से शरीर में लचीलापन आता है तथा विभिन्न प्रकार के रोगों में लाभ होता है। सूर्य नमस्कार के 12 आसन होते हैं। सभी आसन अपनी पहले आसन में आई कमी को दूर करते है। इस आसन में शरीर को विभिन्न रूपों में तानकर और छाती को अदल-बदल कर संकुचित व विस्तरित कर सांस क्रिया की जाती है। इससे शरीर की मांसपेशियों, जोड़ों और रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आने के साथ आंतरिक अंगों की मालिश भी होती है। तो अगर आप अपने शरीर को निरोगी और स्वस्थ रखना चाहते है। तो आपके लिए सूर्य नमस्कार आसान सबसे अच्छा आसान है। समय की कमी होने के कारण अगर आप सेहत पर ध्यान नहीं दे पा रहे है।

तो सूर्य नमस्कार आपके लिए बहुत अच्छ विकल्प है। आप सूर्य नमस्कार आसान की मदद से खुद को शारीरिक और मांसिक रूप से स्वस्थ रख सकते है। हम इस लेख में आपको सूर्य नमस्कार के 12 आसन के नाम और सम्बंधित जानकारी से अवगत कराएंगे।

    सूर्य नमस्कार के 12 आसन के नाम

    सूर्य नमस्कार के 12 आसन के नाम

    1. ताड़ासन - सूर्य नमस्कार मंत्र

    सर्वप्रथम सूर्य के सामने मुख करके एवं दोनों पैरों, ऐड़ियों व पँजों को परस्पर मिलाते हुए रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखते हुए दोनों हाथों को कँधों के समानान्तर उठाते हुए हृदय के आगे लाते हुए करतलबद्ध होकर नमस्कार की मुद्रा में आयें। ऊँ मित्राय नमः का जाप करें। सूर्यदेव को प्रणाम करें। यह सूर्य नमस्कार का प्रथम चक्र है। इस चक्र में साँस छोड़नी होती है। इस चक्र को अनाहत चक्र कहते है।

    2. ऊध्र्वहस्तासन - सूर्य नमस्कार मंत्र

    हाथों को ऊपर ले जाते हुए कमर, पीठ, गर्दन, सिर व भुजाओं को पीछे की ओर ले जायें। शरीर का संतुलन बनाये रखते हुए पैरों को सीधा रखें। ऊँ रवये नमः मंत्र का जाप करें। सूर्यदेव को प्रणाम करें। इस चक्र में साँस लेनी होती है। इस चक्र को विषुद्धि चक्र कहते हैं।

    3.पादहस्तासन - सूर्य नमस्कार मंत्र

    हाथों को वापस नीचे लाते हुए कमर से शरीर को मोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। पैर सीधे रहें। हथेलियों को पैरों के समीप भूमि पर रखें। घुटनों को यथासम्भव मुड़ने न दें। ऊँ सूर्याय नमः का जप करते हुए सूर्यदेव को प्रणाम करें। इसमें साँस छोड़नी है। इस आसन को स्वाधिष्ठान चक्र कहते हैं।

    4. अश्व संचालनासन - Equestrian Pose

    हथेलियों को भूमि पर लगाये रखते हुए बायाँ पैर पीछे की ओर ले जायें। दाएं पैर को घुटनों के मद्य रखें सीने को सामने की ओर रखें एवं गर्दन को पीछे की ओर ले जाते हुए आशमान की ओर देखें। ऊँ भानवे नमः मंत्र का जाप करें सूर्यदेव को प्रणाम करें। इस चक्र में साँस लेनी होती है इस चक्र को आज्ञा चक्र कहते हैं।

    5. दंडासन - Staff Pose

    हथेलियों को भूमि पर रखते हुए दोनों हाथों को सीधा करें अब दायें पैर को भी पीछे ले जायें। दोनों पैरों को परस्पर मिलाते हुए कमर के भाग को ऊपर उठाकर गर्दन व सिर को नीचे ले जाते हुए सिर को दोनों भुजाओं के मध्य रखें। शरीर का पूरा भार पँजों व हथेलियों पर रहेगा ऊँ खगाय नमः का जाप करें सूर्यदेव को प्रणाम करें। इस आसन में साँस छोड़नी होती है। इसे विषुद्धि चक्र कहते हैं।

    6. अष्टांग नमस्कार - Caterpillar Pose

    हथेलियों को भूमि पर रखते हुई पर लगाये रखते हुए हाथों को सीधा करें। शरीर का पूरा भाग भूमि को छूना चाहिए। ऊँ पूष्णे नमः मंत्र का जाप करें। सूर्यदेव को नमस्कार करें। इस आसन में साँस को भीतर खीँचकर रोकना है।इसे मणिपुर चक्र कहते है।

    7. भुजंगासन - Cobra Pose

    हथेलियों को भूमि पर रखते हुए पेट को भूमि से मिलाये सिर को पीछे की ओर जीतना हो सके उतना अधिक मोड़ें, ऊँ हिरण्यगर्भाय नमः मंत्र का जप करते हुए सूर्यदेव को प्रणाम करें। इस आसन में साँस लेनी है इस आसन को स्वाधिष्ठान चक्र कहते है।

    8. पर्वतासन - सूर्य नमस्कार मंत्र

    हथेलियों को भूमि पर रखते हुए दोनों हाथों को सीधा करें अब दायें पैर को भी पीछे ले जायें। दोनों पैरों को परस्पर मिलाते हुए कमर के भाग को ऊपर उठाकर गर्दन व सिर को नीचे ले जाते हुए सिर को दोनों भुजाओं के मध्य रखें। शरीर का पूरा भार पँजों व हथेलियों पर रहेगा ऊँ मरीचये नमः जप करते हुए सूर्यदेव को प्रणाम करें। इस आसन में साँस छोड़नी होती है। इस आसन विषुद्धि चक्र कहते हैं।

    9. अश्वसंचालनासन - सूर्य नमस्कार मंत्र

    हथेलियों को भूमि पर रखें। बायें पैर को घुटने से मोड़कर सामने लाते हुए दोनों हाथों के मध्य में रखें। दायें पैर को जितना पीछे हो सके उतना पीछे ले जायें वक्षस्थल को आगे की ओर रखें। ऊँ आदित्याय नमः मंत्र का जाप करें। सूर्यदेव को प्रणाम करें। इस चक्र में साँस लेनी हैं।

    10. पादहस्तासन - Standing Forward Bend

    हथेलियों को भूमि पर रखें दायें पैर को आगे लाएं बांये पैर को भी दाएं पैर के समकक्ष ले आयें सिर को घुटनों से स्पर्श कराने की कोशिश करें। दोनों पैरों को बिल्कुल सीधा रखें। ऊँ सवित्रे नमः मंत्र का जाप करें। सूर्य देव को प्रणाम करें। सूर्य नमस्कार के इस 10 वें चक्र में साँस छोड़नी होती है। सूर्य नमस्कार के इस चक्र को स्वाधिष्ठान चक्र कहते है।

    11. ऊध्र्वहस्तासन - Raised Arms Pose

    सूर्य नमस्कार के इस 11 वें चक्र में द्वितीय चक्र की भांति दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए कमर, पीठ, सिर, गर्दन व भुजाओं को पीछे की ओर ले जांए। पैरों को एकदम सीधा रखें। ऊँ अर्काय नमः मंत्र का जाप करें सूर्यदेव को प्रणाम करें। इस चक्र में साँस लेनी होती है। इस चक्र को विशुद्धि चक्र कहते हैं।

    12. प्रणामासन - The Prayer Pose

    सूर्य नमस्कार के इस 12 वें एवं आखरी आसन में प्रथम आसन के समान सीधे खड़े रहकर दोनों हाथों को प्रणाम की मुद्रा में जोड़ कर। ऊँ भास्कराय नमः मंत्र का जाप करें सूर्यदेव को प्रणाम करें। सूर्य नमस्कार के इस अंतिम चक्र में साँस छोड़नी होती है। इस आसन को अनाहत चक्र कहते हैं।

    निष्कर्ष - Conclusion

    हमने इस लेख में आपको सूर्य नमस्कार के 12 आसनों के नाम तथा सूर्य नमस्कार करने का तरीका के बारे में बताया है तथा सूर्य नमस्कार करते समय कौन से मंत्र का जाप करना है आपको सम्पूर्ण जानकारी से अवगत कराया है। सूर्य नमस्कार आसन करने से शरीर तो स्वस्थ रहता ही है। साथ ही मानसिक तनाव आदि से छुटकारा मिलता है।

    Post a Comment

    0Comments

    If you have any doubts, Please let me know

    Post a Comment (0)