तो सूर्य नमस्कार आपके लिए बहुत अच्छ विकल्प है। आप सूर्य नमस्कार आसान की मदद से खुद को शारीरिक और मांसिक रूप से स्वस्थ रख सकते है। हम इस लेख में आपको सूर्य नमस्कार के 12 आसन के नाम और सम्बंधित जानकारी से अवगत कराएंगे।
1. ताड़ासन - सूर्य नमस्कार मंत्र
सर्वप्रथम सूर्य के सामने मुख करके एवं दोनों पैरों, ऐड़ियों व पँजों को परस्पर मिलाते हुए रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखते हुए दोनों हाथों को कँधों के समानान्तर उठाते हुए हृदय के आगे लाते हुए करतलबद्ध होकर नमस्कार की मुद्रा में आयें। ऊँ मित्राय नमः का जाप करें। सूर्यदेव को प्रणाम करें। यह सूर्य नमस्कार का प्रथम चक्र है। इस चक्र में साँस छोड़नी होती है। इस चक्र को अनाहत चक्र कहते है।2. ऊध्र्वहस्तासन - सूर्य नमस्कार मंत्र
हाथों को ऊपर ले जाते हुए कमर, पीठ, गर्दन, सिर व भुजाओं को पीछे की ओर ले जायें। शरीर का संतुलन बनाये रखते हुए पैरों को सीधा रखें। ऊँ रवये नमः मंत्र का जाप करें। सूर्यदेव को प्रणाम करें। इस चक्र में साँस लेनी होती है। इस चक्र को विषुद्धि चक्र कहते हैं।
3.पादहस्तासन - सूर्य नमस्कार मंत्र
हाथों को वापस नीचे लाते हुए कमर से शरीर को मोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। पैर सीधे रहें। हथेलियों को पैरों के समीप भूमि पर रखें। घुटनों को यथासम्भव मुड़ने न दें। ऊँ सूर्याय नमः का जप करते हुए सूर्यदेव को प्रणाम करें। इसमें साँस छोड़नी है। इस आसन को स्वाधिष्ठान चक्र कहते हैं।
4. अश्व संचालनासन - Equestrian Pose
हथेलियों को भूमि पर लगाये रखते हुए बायाँ पैर पीछे की ओर ले जायें। दाएं पैर को घुटनों के मद्य रखें सीने को सामने की ओर रखें एवं गर्दन को पीछे की ओर ले जाते हुए आशमान की ओर देखें। ऊँ भानवे नमः मंत्र का जाप करें सूर्यदेव को प्रणाम करें। इस चक्र में साँस लेनी होती है इस चक्र को आज्ञा चक्र कहते हैं।
5. दंडासन - Staff Pose
हथेलियों को भूमि पर रखते हुए दोनों हाथों को सीधा करें अब दायें पैर को भी पीछे ले जायें। दोनों पैरों को परस्पर मिलाते हुए कमर के भाग को ऊपर उठाकर गर्दन व सिर को नीचे ले जाते हुए सिर को दोनों भुजाओं के मध्य रखें। शरीर का पूरा भार पँजों व हथेलियों पर रहेगा ऊँ खगाय नमः का जाप करें सूर्यदेव को प्रणाम करें। इस आसन में साँस छोड़नी होती है। इसे विषुद्धि चक्र कहते हैं।
6. अष्टांग नमस्कार - Caterpillar Pose
हथेलियों को भूमि पर रखते हुई पर लगाये रखते हुए हाथों को सीधा करें। शरीर का पूरा भाग भूमि को छूना चाहिए। ऊँ पूष्णे नमः मंत्र का जाप करें। सूर्यदेव को नमस्कार करें। इस आसन में साँस को भीतर खीँचकर रोकना है।इसे मणिपुर चक्र कहते है।
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